ईस्ट इंडिया कंपनी का रोचक इतिहास East India Company In Hindi

यह पोस्ट East India Company History In Hindi ईस्ट इंडिया कंपनी का इतिहास (East India Company Ka Itihas) व जानकारी के बारे में है। ईस्ट इंडिया कंपनी का इतिहास बहुत पुराना है। ब्रिटिश भारत में व्यापार करने के इरादे से आये थे लेकिन राज कर बैठे। अपनी फुट डालो राज करो कि नीति से भारत पर वर्षों तक शासन किया था। वर्ष 15 अगस्त, 1947 तक भारत पर ब्रिटिश शासन था। ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में जानने का प्रयास इस पोस्ट में है।

East India Company In Hindi

ईस्ट इंडिया कंपनी का इतिहास East India Company History In Hindi

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना (East India Company Ki Sthapana) – वर्ष 1600 ईसवी में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी। इस कंपनी की स्थापना ब्रिटेन के व्यापारिक समूह मर्चेंट एडवेंचर के अधिकारी जॉन वाट्स के द्वारा की गई थी। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने व्यापार करने की अनुमति दी थी। कंपनी ने भारत के तटीय क्षेत्रों में अपना व्यापार शुरू किया था।

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी को व्यापार करने की सर्वप्रथम अनुमति मुग़ल बादशाह जहांगीर ने प्रदान की थी। ब्रिटिश व्यापारी पहले भी वर्ष 1603 में भारत व्यापार करने आये थे लेकिन बादशाह अकबर ने अनुमति नही दी थी। वर्ष 1608 में कैप्टन हॉकिंग्स नामक व्यापारी कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर बादशाह जहांगीर के दरबार में पहुंचा था। उसके पास ब्रिटेन का राजपत्र था जिसमें भारत में व्यापार करने की अनुमति थी। जहांगीर उससे काफी प्रभावित हुआ और कंपनी को व्यापार की अनुमति दे दी।

ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) का प्रथम कारखाना सूरत में लगा था। यह कारखाना अस्थायी था लेकिन बहुत जल्दी इसको स्थायी करा लिया गया। कैप्टन हॉकिंग्स जिस जहाज से भारत आया था, उसका नाम हेक्टर था। उस समय के प्रमुख व्यापारिक केंद्र सूरत में हॉकिंग्स पहुंचा था।

ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में विस्तार व उद्देश्य East India Company In Hindi –

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) को फैलाने का काम सर टॉमस रो ने किया था। वर्ष 1615 में सर टॉमस भी जहांगीर के दरबार में आया था। उन्होंने अहमदाबाद, भरूच इलाके में कारखाना लगाने की अनुमति ली थी। दक्षिण भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रथम कारखाना वर्ष 1611 में मसूलीपट्टम में स्थापित हुआ था। इसका मुख्य कारण दक्षिण भारत में मुग़ल साम्राज्य का प्रभाव नही होना था। मद्रास के राजा से अनुमति लेकर वहां पर कारखाने के साथ एक किला भी स्थापित किया था। इस किले का नाम फोर्ट सेंट जॉर्ज था।

ईस्ट इंडिया कंपनी मुख्यतः मसालों का व्यापार करती थी। आगे चलकर चाय, अफीम, कपास, रेशम इत्यादि का व्यापार भी शुरू किया। धीरे धीरे कंपनी ने भारत में व्यापार का अधिग्रहण शुरू कर दिया था। सूरत से शुरू हुआ यह सिलसिला वर्ष 1633 में उड़ीसा पहुंचा। वर्ष 1651 में ईस्ट इंडिया कंपनी का बंगाल प्रांत में प्रथम कारखाना स्थापित हुआ था। गैब्रिल बोघटन ने बंगाल में व्यापार करने का लाइसेंस प्राप्त किया था।

कंपनी का भारत में व्यापार –

17 वी शताब्दी आते आते ब्रिटिश कंपनी ने भारत में व्यापार पर एकाधिकार कर लिया। भारत के विभिन्न हिस्सों बंगाल, उड़ीसा, दक्षिण भारत में कंपनी के कई कारखाने शुरू हो गए थे। ब्रिटिशों ने भारत मे सूत कातने का कारखाना भी शुरू किया था। भारत में बना सूती कपड़ा विदेशों में काफी लोकप्रिय हो गया था। वर्ष 1623 में ईस्ट इंडिया कंपनी का इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर पुर्तगालियों से युद्ध भी हुआ था। इस युद्ध में कंपनी की हार हुई। इसके बाद कंपनी ने केवल भारत पर अपना ध्यान लगाया।

भारत में व्यापार करने से कंपनी को काफी फायदा हुआ। भारत में कंपनी की शक्ति बढ़ती चली गयी। व्यापार के साथ ही कंपनी वाले राजनेतिक हक्षतेप करने लग गए। वर्ष 1707 में मुग़ल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुग़ल शासन कमजोर हो गया था। इसका फायदा मराठा और अंग्रेजो ने उठाया। अंग्रेजो ने भारत के राज्यों को जीतने के लिए फुट डालो राज करो कि नीति अपनाई थी। इस नीति के कारण कंपनी का राज बढ़ता ही चला गया।

ईस्ट इंडिया कंपनी का पतन East India Company Ka Itihas –

ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) का भारत में व्यापार का एकाधिकार था। वर्ष 1773 में ब्रिटिश सरकार ने एक एक्ट पारित किया जिससे कंपनी पर ब्रिटिश सरकार का सीधा नियंत्रण हो गया था। इससे पहले कंपनी में ब्रिटिश सरकार का कोई नियंत्रण नही था। वर्ष 1834 में यह कंपनी केवल ब्रिटिश शासन का एक अंग बनकर रह गयी। ईस्ट इंडिया कंपनी के भ्रष्टाचार और जुल्म की खबरे महारानी एलिजाबेथ को लगी थी। कंपनी की बढ़ती ताकत को रोकना भी जरूरी था। ये कुछ मुख्य कारण थे जिसके कारण ईस्ट इंडिया कंपनी पर पाबंदियां लगाई गई थी।

1 जनवरी, 1874 में ब्रिटिश महारानी ने ईस्ट इंडिया कंपनी को भंग कर दिया जिसका कारण 1857 की क्रांति थी। यह कंपनी राज की भारत में समाप्ति थी। इसके बाद भारत ब्रिटेन साम्राज्य के अधीन हो गया।

1498 ईसवी में वास्कोडिगामा ने भारत के समुद्री मार्गो की खोज कर ली थी। यूरोपीय देशों के भारत के साथ व्यापारिक मार्ग खोल दिये थे। इसके बाद युरोप के कई व्यापारी भारत आये जिनमें पुर्तगाली और फ्रांसीसी मुख्य थे। ब्रिटिश व्यापारी बाद में आये थे। शुरू में भारत में व्यापार पर पुर्तगालियों और फ्रांसीसी व्यापारियों का एकाधिकार था। उस समय ब्रिटिश के अलावा पुर्तगाली और फ्रांसीसी भी भारत के तटीय इलाकों में व्यापार करते थे। इन व्यापारियों के साथ ब्रिटिशों का संघर्ष भी हुआ था।

ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में जानकारी British Company History –

1. ईस्ट इंडिया कंपनी का कारोबार केवल भारत में ना होकर पूरे एशिया महाद्वीप में था। चीन जैसे कुछ देशों को छोड़कर लगभग हर देश में कंपनी का राज था।

2. East India Company के अलावा एक 1700 ईसवी के आसपास न्यू ईस्ट इंडिया कंपनी भी थी। इस कंपनी का विलय ईस्ट इंडिया में हुआ था।

3. कंपनी में एक गवर्नर होता था जो कंपनी का प्रमुख और भारत में शासन करता था। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ प्रथम के द्वारा उनकी नियुक्ति होती थी। इसके अलावा कंपनी में 24 डायरेक्टर थे। कंपनी का कामकाज इन्ही के हवाले था।

4. भारत के 3 बड़े महानगर चेन्नई, मुम्बई और कलकत्ता की नींव रखने में ईस्ट इंडिया कंपनी का बड़ा योगदान था।

5. ईस्ट इंडिया कंपनी वाले भारत के किसानों और व्यापारियों से लगान वसूल करते थे। वो लगान की वसूली बड़ी बेरहमी से किया करते थे। सत्ता की आदि हो चुकी ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीयों पर जुल्म भी किये थे। एक समय का अमीर भारत ईस्ट इंडिया कंपनी के समय लुट रहा था। अंग्रेजो ने भारत का खजाना लूटने का काम किया था।

6. ऐसा नही है कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभाव केवल नकरात्मक ही था। कंपनी के कारण भारत देश में विकास का काम भी हुआ था। भारत में रेल का आना, डाक विभाग, न्यायालय की स्थापना जैसे विभिन्न काम कंपनी ने किए थे। इसके अलावा समाज सुधार के लिए भी कई कार्य किये थे। शिक्षा के लिए स्कूल, कॉलेज की स्थापना में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रमुख योगदान था।

7. ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) की सेना में ज्यादातर सैनिक भारतीय ही थे। कंपनी के कारखानों में कार्य करने वाले भी इंडियंस ही थे। एक तरह से कहे तो अंग्रेजों ने भारतीयों के द्वारा ही भारत पर शासन किया था।

अन्य पोस्ट्स –

Note – इस पोस्ट East India Company History In Hindi में ईस्ट इंडिया कंपनी का इतिहास व जानकारी कैसी लगी। ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना (East India Company Ki Sthapana), उत्थान और पतन पर आपकी राय महत्वपूर्ण है। यह आर्टिकल “East India Company In Hindi” आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर भी करे।

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