प्रतिरोध क्या है? प्रकार और रेसिस्टर | Resistance In Hindi

प्रतिरोध क्या है? Resistor क्या है? प्रतिरोध के प्रकार और कार्य पर इस पोस्ट What Is Resistance In Hindi में दिए गए है। भौतिकी में प्रतिरोध एक महत्वपूर्ण टर्म है। सामान्य भाषा में कहे तो किसी भी विद्युत परिपथ में विद्युत प्रवाह में रुकावट को प्रतिरोध कहा जाता है।

अंग्रेजी में प्रतिरोध को “Resistance” भी कहते है। प्रतिरोध पर विस्तृत चर्चा करने का पूरा प्रयास इस लेख “Resistor And Resistance Information In Hindi” में किया गया है।

Resistor And Resistance Information In Hindi

प्रतिरोध क्या है – What Is Resistance In Hindi

किसी भी प्रदार्थ में विद्युत धारा का प्रवाह होने पर विद्युत के प्रवाह में अवरोध पैदा होता है। ये अवरोध ही प्रतिरोध (Resistance) कहलाता है। सामान्य शब्दों में कहे तो परिपथ में विद्युत प्रवाह का विरोध ही “Resistance” कहलाता है। इसलिए प्रतिरोध चालक (Conductor) का वह गुण है जो विद्युत प्रवाह का विरोध करता है।

आप जानते ही है कि विद्युत का प्रवाह फ्री इलेक्ट्रॉन के कारण होता है। इन इलेक्ट्रॉन्स के प्रवाह में उत्पन्न बाधा ही प्रतिरोध कहलाती है। विद्युत परिपथ (Electrical Network) में करंट कितना Flow होगा, यह चालक के Resistance पर ही निर्भर करता है।

एक और परिभाषा के अनुसार “Resistor” के दोनों सिरों पर उत्पन्न विभवांतर (V) और उस Resistor में प्रवाहित विद्युत धारा (I) के अनुपात को ही प्रतिरोध (Resistance) कहा जाता है।

R = V/I

प्रतिरोध का सूत्र क्या है? Formula Of Resistance In Hindi

R = V/I

यहां पर “V” वोल्टेज है जबकि “I” विद्युत धारा का मान है। “R” प्रतिरोध है। Resistance को ओम (Ω) के द्वारा भी दर्शाया जाता है। इसे प्रतिरोध का मात्रक भी कहा जाता है।

प्रतिरोध (Resistance) को प्रभावित करने वाले कारक?

  • Resistance पर तापमान का प्रभाव पड़ता है। तापमान के कम या ज्यादा होने पर प्रतिरोध का मान भी घटता या बढ़ता है।
  • Resistance का मान तार की लंबाई, मोटाई और चौड़ाई पर भी निर्भर करता है। किसी भी प्रदार्थ का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के समानुपाती ( R ∝ L ) होता है। चालक की लम्बाई के बढ़ने पर प्रतिरोध भी बढ़ता है। चालक की मोटाई बढ़ने और लम्बाई घटने पर प्रतिरोध भी कम होता है।
  • चालक प्रदार्थ की प्रकृति पर भी Resistance का मान निर्भर करता है। कॉपर, एल्युमिनियम, आयरन, रबर, प्लास्टिक इत्यादि प्रदार्थों का प्रतिरोध भिन्न भिन्न होता है।

प्रतिरोधक (Resistor) क्या होता है?

विद्युत धारा के नियंत्रण में प्रतिरोधक (Resistor) का उपयोग किया जाता है। इसके लिए Resistor Component का इस्तेमाल विद्युत परिपथ में करते है। विद्युत के Flow को कम या ज्यादा करने के लिए प्रतिरोधक का इस्तेमाल होता है।

दोस्तों, Resistor का उपयोग परिपथ में विद्युत वोल्टेज को कम या ज्यादा करने में किया जाता है। Resistor Component बनाने में इस्तेमाल होने वाले प्रदार्थ मुख्यतः कार्बन, नाइक्रोन, यूरेका, टंगस्टन इत्यादि आते है।

प्रतिरोध (Resistance) और प्रतिरोधक (Resistor) में क्या अंतर है? प्रतिरोध एक मान है जो इलेक्ट्रिक करंट के प्रवाह में रुकावट या बाधा उत्पन्न होने पर होता है। जबकि प्रतिरोधक एक Electric Component है जिसका उपयोग Resistance को Control करने में होता है। Resistor विद्युत प्रवाह को रोकता है।

भौतिकी में किसी भी प्रदार्थ का प्रतिरोध (Resistance) कम या ज्यादा होता है। वैसे विद्युत प्रवाह की दृष्टि से चालक और कुचालक दो प्रकार के प्रदार्थ होते है। चालक प्रदार्थ (Conducting Material) विद्युत प्रवाह का बिल्कुल भी विरोध नही करता है। इसलिए चालक प्रदार्थ का प्रतिरोध शून्य होता है। जैसे कि कॉपर, एल्युमिनियम इत्यादि प्रदार्थ विद्युत के सुचालक होते है। इसी कारण इन प्रदार्थो का उपयोग इलेक्ट्रिक वायर बनाने में किया जाता है।

कुचालक प्रदार्थ (Insulator) में प्रतिरोध का मान अधिक होता है क्योंकि यह Electric Flow का विरोध करता है। कुचालक प्रदार्थो में लकड़ी, रबर, प्लास्टिक इत्यादि आते है। ये प्रदार्थ विद्युत वोल्टेज को खुद में से गुजरने नही देते है।

प्रतिरोध (Resistance) कैसे ज्ञात करें? In Hindi

दोस्तों, परिपथ में प्रतिरोध (Resistance) मापने के लिए ओम का नियम फॉलो करते है। प्रतिरोध का मापन मल्टीमीटर के द्वारा भी किया जा सकता है। Resistor का प्रतिरोध उसके कलर कोड से भी जाना जा सकता है। Register का Resistance कलर कोड से आसानी से ज्ञात किया जा सकता है। इसके लिए Resistor के ऊपर विभिन्न रंगों की धारियां बनी होती है। इन रंगों की पहचान करके प्रतिरोध ज्ञात किया जाता है।

सबसे आसान तरीका मल्टीमीटर का उपयोग करके है। मल्टीमीटर के दोनों टर्मिनल्स को Resistor के दोनों सिरों से टच करके Resistance की रीडिंग ली जाती है। वैसे ओम के नियम से प्रतिरोध का मान DC सर्किट में ही निकाला जा सकता है। ओम के नियम से प्रतिरोध कैसे निकाला जाता है। यह जानने के लिए इस पोस्ट को पढ़े –

Resistor को विद्युत परिपथ में Connect कैसे करें?

Resistor या प्रतिरोधक को परिपथ में श्रेणीक्रम (Series) या सामानांतर क्रम (Parallel) दो प्रकार से Connect कर सकते है। विद्युत परिपथ में एक से ज्यादा प्रतिरोध (R) का उपयोग भी करते है।

श्रेणी क्रम में लगे हुए Resistor का प्रतिरोध ज्ञात करने का सूत्र –
R = R1 + R2 + R3 + … Rn

समानांतर क्रम में लगे हुए प्रतिरोध का मान ज्ञात करने का सूत्र – प्रतिरोधों का गुणनफल और योग का अनुपात का मान Resistor का कुल प्रतिरोध होता है।

R = R1 × R2 × R3 × … Rn / R1 + R2 + R3 + … Rn

प्रतिरोध के प्रकार (Resistance Types In Hindi)

प्रतिरोध (Resistance In Hindi) दो प्रकार के होते है।

1. Fixed Resistor –

इस प्रकार के Resistor में प्रतिरोध का मान Fixed होता है। इसलिए इसे Fixed Resistor कहा जाता है। कई बार परिपथ में निश्चित मान के प्रतिरोध की आवश्यकता रहती है। इसमें प्रतिरोध की वैल्यू को घटाया या बढ़ाया नही जा सकता है। Resister के मैन्युफैक्चरिंग के वक्त ही प्रतिरोध का मान Fixed कर लिया जाता है। वैसे दोस्तों इस प्रकार के Resister पर तापमान का प्रभाव पड़ता है।

Fixed Resistor के नाम – Thin Film Resistor, Carbon Film Resistor, Wire Wound Resistor इत्यादि आते है।

2. Variable Resistor –

इस प्रकार के Resistor में प्रतिरोध का मान Fixed नही होता है। प्रतिरोध का मान कम या ज्यादा किया जा सकता है। Variable Resistor में Potentiometer, Rheostat इत्यादि आते है।

Variable Resistor के नाम – Potentiometer, Rheostat इत्यादि आते है।

इस पोस्ट What Is Resistance In Hindi में प्रतिरोध क्या है? (Resistance Kya Hai) और रेसिस्टर क्या है? (Resistor In Hindi) पर सामान्य जानकारी आपको कैसी लगी? यह आर्टिकल “Resistor And Resistance Information In Hindi” अच्छा लगा हो तो इसे शेयर भी करे।

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