अलाउद्दीन खिलजी का जीवन इतिहास | Alauddin Khilji History & Biography

अलाउद्दीन खिलजी एक महत्वकांक्षी शासक था। इसने दिल्ली सल्तनत पर शासन किया था। Biography And History Of Alauddin Khilji In Hindi लेख में अलाउद्दीन खिलजी की जीवनी और इतिहास का विवरण दिया गया है। खिलजी वंश के प्रथम शासक जलाउद्दीन खिलजी के बाद अलाउदीन राजगद्दी पर बैठा था। अलाउद्दीन खिलजी को इतिहास में क्रूर शासक के तौर पर जाना जाता है। क्रूरता के अलावा इस शासक को इतिहास में विभिन्न कार्यों के लिए भी याद किया जाता है। तो आइए दोस्तों अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास और जीवनी पर रोशनी डालते है।

Biography And History Of Alauddin Khilji In Hindi
यह चित्र पद्मावत फिल्म से है

अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास – Alauddin Khilji History In Hindi

सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) का जन्म वर्ष 1250 में बंगाल के बीरभूम में हुआ था। वैसे उसके जन्म के बारे में इतिहासकार एकमत नहीं है। उसके बचपन का नाम अलाउद्दीन ना होकर जूना मोहम्मद था। पिता का नाम शाहबुद्दीन मसूद खिलजी था जो खिलजी वंश के प्रथम शासक जलाउद्दीन खिलजी के भाई थे। बचपन में ही अलाउद्दीन के पिता की मृत्यु हो गई थी। उसका लालन पालन खिलजी वंश के प्रथम शासक और उनके चाचा जलाउद्दीन ने ही किया था।

अलाउद्दीन ने दिल्ली सल्तनत का शासक बनने के लिए अपने चाचा की हत्या की थी। सुल्तान की हत्या के कारण उसको भारी विद्रोह का सामना करना पड़ा था लेकिन उसने अपनी ताकत और सूझबूझ के जोर पर विद्रोह को दबा दिया। अलाउद्दीन खिलजी ने सुल्तान बनने से पूर्व अमीर ऐ तुजुक के पद पर भी कार्य किया था। उन्होंने मलिक छज्जू के विद्रोह को भी दबाया था जिससे खुश होकर उसको कारा राज्य का राज्यपाल बनाया गया था।

खिलजी ने सुल्तान बनने से पहले भारत के कई नगरों में लूटपाट भी मचाई थी। भिलसा और देवगिरी (दक्कन राज्य) में उसने सोने और चांदी का बड़ा खजाना लुटा था। वर्ष 1296 में अलाउद्दीन ने अपने चाचा की हत्या करके खुद को सुल्तान घोषित किया था।

सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की पहली शादी जलाउद्दीन खिलजी की पुत्री मल्लिका ऐ जहां से हुई थी। उसकी दो अन्य बीवियों में महरु और कमलादेवी का नाम आता है। खिलजी की सन्तानो में खिज्र खान, कुतुबुद्दीन मुबारक शाह, शाहबुद्दीन उमर मुख्य है।

अलाउद्दीन खिलजी का साम्राज्य विस्तार और युद्ध

अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) का साम्राज्य दक्षिण भारत में भी फैला हुआ था। महत्वकांक्षी होने के कारण खिलजी ने अपने साम्राज्य का व्यापक विस्तार किया था। वो पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने अपना शासन दक्षिण भारत में भी फैलाया था। उनके दक्षिण भारत के इस अभियान में उसके सेनापति मलिक काफूर ने काफी मदद की थी। मलिक काफूर एक विश्वासपात्र गुलाम था। विजय के पश्चात दक्षिणी राज्य उसे भारी टैक्स दिया करते थे।

उसका शासन उत्तर भारत के साथ ही अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्य में राजपूताना, मालवा और गुजरात भी आता था।

अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोलों के आक्रमण का भी सामना किया था। उन्होंने हर बार मंगोलों के आक्रमण को परास्त किया था। उसने मंगोलों को हराकर अफगानिस्तान के इलाके पर भी कब्जा किया। मंगोल सेनिको के विद्रोह करने पर उसने सभी को मौत के घाट उतरा दिया था। मंगोलों से प्रथम बार युद्ध वर्ष 1298 में जालंधर में हुआ था। इस युद्ध में मंगोल पराजित हुए। इसके बाद किली का युद्ध, अमरोहा युद्ध, घाजनी का युद्ध इत्यादि लड़ाइयों में अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोलों पर विजय प्राप्त की थी। मंगोल आक्रमणकारियों पर विजय ने अलाउद्दीन खिलजी को ताकतवर सुल्तान बनाया था।

वर्ष 1928 में अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात पर चढ़ाई की थी। नुसरत खान के नेतृत्व में खिलजी ने गुजरात विजय को पूर्ण किया था। गुजरात विजय के दौरान सोमनाथ मंदिर को भी लुटा गया था। अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंभौर पर भी विजय प्राप्त की थी।

चित्तौड़ विजय और रानी पद्मावती की कहानी (Story Of Alauddin Khilji In Hindi)

वर्ष 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला किया था। बड़ी ही बहादुरी से वहां के शासक राजा रतन सिंह ने खिलजी का सामना किया। परंतु फिर भी वह युद्ध हार गए थे। इतिहास में इस युद्ध से जुड़ी एक किदवंती भी है। इस किदवंती के अनुसार चित्तौड़ की रानी पद्मावती ने जौहर (आत्मदाह) किया था। ऐसा माना जाता है की अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मावती की सुंदरता पर मोहित था। इसलिए खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला किया लेकिन रानी ने अपनी अस्मिता की रक्षा के खातिर प्राण त्याग दिए।

वैसे कुछ इतिहासकारों के अनुसार इसके कोई मजबूत साक्ष्य नही है। मालिक मोहम्मद जायसी के महान ग्रन्थ पद्मावत में इस कहानी का वर्णन है। इतिहासकार इस ग्रन्थ को जायसी की कोरी कल्पना मानते है। फिर भी राजस्थान के कहानी किस्सों में इसका काफी जिक्र होता है। रानी की वीरता और शौर्य की यह कहानी राजस्थान की लोक कथाओं में काफी प्रचलित है।

अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक कार्य और मृत्यु

अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) का जीवन काफी विवादित रहा था। परन्तु खिलजी ने शासन व्यवस्था में काफी सुधार किए थे। उसको वस्तुओं के निश्चित मूल्य निर्धारण के लिए जाना जाता है। उसने हर जरूरत की वस्तु के दाम तय किये थे जिससे वस्तुए सस्ती थी। इन दैनिक चीजों में खाद्य पदार्थ, दवाइयां, कपड़े इत्यादि थे। खिलजी ने कृषि दामो में कमी करने के लिए टैक्स भी माफ किये थे। उसने अपने शासन के दौरान शराबबंदी भी लागू की थी। अलाउद्दीन खिलजी ने विरोधियों पर काबू पाने के लिए गुप्तचर विभाग की स्थापना भी की थी।

सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु वर्ष 1316 में दिल्ली में हुई थी। इतिहासकारों के मुताबिक लम्बी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हुई थी। कुछ के अनुसार उसकी हत्या की गई थी। उसका मकबरा कुतुब मीनार के पास मौजूद है। अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में मशहूर संगीतकार अमीर खुसरो भी थे।

अलाउद्दीन खिलजी के व्यक्तित्व के बारे में लोग इतिहास पर एकमत नही है। कुछ इतिहासकार मानते है कि उसने दक्षिण भारत के कई हिन्दू मंदिरों में लूटपाट की थी। उसकी क़ुरता के कई किस्से भी प्रचलित है। परंतु खिलजी का दूसरा पक्ष यह है कि उसने राज्य व्यवस्था में कई ऐतिहासिक सुधार भी किये थे। अलाउद्दीन खिलजी पर आपके विचारों का स्वागत है।

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