घड़ी का आविष्कार व इतिहास Watch Ka Avishkar Kisne Kiya

यह पोस्ट Watch Ka Avishkar Kisne Kiya घड़ी का आविष्कार (Ghadi Ka Avishkar Kisne Kiya) की जानकारी पर है। घड़ी समय दिखाती है और समय की गणना करने में बहुतायत से उपयोग की जाती है। घड़ी के कई प्रकार है लेकिन काम समय बताना ही है। घड़ी का आविष्कार के पीछे एक रोचक इतिहास है। तो आइए घड़ी का इतिहास जानते है।

Watch Ka Avishkar Kisne Kiya

घड़ी का आविष्कार का इतिहास Watch Ka Avishkar Kisne Kiya

Ghadi Ka Avishkar Kisne Kiya – घड़ी के आविष्कार (Invention Of Watch) को दो कालखंड में बांटा जा सकता है। एक पुरातन इतिहास की घड़ी का आविष्कार और दूसरा आधुनिक घड़ी का आविष्कार। प्राचीनकाल में समय की गणना हेतु सूर्य की स्थिति देखी जाती थी। सूर्य से ही समय का अनुमान लगाया जाता था। किसी पिंड, इमारत या चट्टान की छाया को देखकर पहर की गणना की जाती थी। बादल होने की स्थिति में यह समय गणना नामुमकिन थी। रात के समय में ग्रह नक्षत्र, तारे देखकर समय की गणना होती थी।

इतिहास में आता है कि सबसे पहले घड़ी चीन में बनाई गई थी। इसको जल घड़ी कहा जाता था जिसमें एक बर्तन में पानी भर दिया जाता था। बर्तन के पेंदे में एक छोटा छिद्र कर दिया जाता था। उस बर्तन के नीचे एक खाली बर्तन रखते थे और पानी बून्द बून्द करके उसमें इक्कठा होता रहता था। इक्कठा हुए पानी को नापकर समय की गणना की जाती थी। बाद में पानी की जगह बालू मिट्टी से भी गणना की जाने लगी।

पुराने समय में दीवार घड़ी में सेकंड के कांटे की जगह पेंडुलम का इस्तेमाल होता था। मोमबत्ती की सहायता से भी समय की गणना की जाती थी। आजकल तो स्वचालित घड़ियां आती है जो बैटरी की सहायता से चलती रहती है। पहले घड़ी में चाबी भरी जाती थी। जिन घड़ियों में सेल डाला जाता है उन्हें क्वाटर्ज घड़ी कहते है। ये घड़ियां ज्यादा समय तक सही समय नही बताती है और ये कुछ सालों बाद सही समय दिखाना बंद कर देती है।

बड़े बड़े शहरों में समय दिखाने के लिए घण्टाघर होते थे जिससे आम लोगों को समय का पता चलता था। मिस्र देश में पानी से चलने वाली अलार्म घड़ी भी होती थी जिसमें तय समय पर अलार्म बजता था।

घड़ी का आविष्कार Ghadi Ka Avishkar Kisne Kiya

पीटर हेनलेन नामक व्यक्ति ने एक छोटी घड़ी का आविष्कार (Watch Ka Avishkar) किया था जिसे पॉकेट में रखकर कही पर भी ले जाया जा सकता था। ऐसा माना जाता है कि मिनट की सुई वाली घड़ी का आविष्कार जॉस बर्गी ने किया था। कलाई पर बांधे जा सकने वाली घड़ी का आविष्कार फ्रांसीसी वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल ने किया था। इससे पहले लोग घड़ी को जेब में रखते थे।

घड़ी एक मेकैनिकल, इलेक्ट्रॉनिक यंत्र जो सही समय बताती है। इस यंत्र में मिनट की सुई, सेकंड की सुई और घण्टे की सुई होती है। ये सुइयां एक डायल पर लगी होती है जिस पर 1 से 12 नम्बर अंकित होते है। इन घड़ियों को एनालॉग वॉच कहते है। आजकल डिजिटल घड़ियां भी चलती है जिसमें किसी भी तरह का कांटा नही होता है।

डिजिटल घड़ी में समय के साथ ही तारीख भी बताते है। उपयोगिता के आधार पर मुख्यतः दो तरह की घड़ियां बाजार में मिलती है। एक दीवार घड़ी होती है और दूसरी कलाई में बांधे जा सकने वाली घड़ी होती है। कार्य सिद्दांत के आधार पर भी घड़ी दो प्रकार की होती है। पहली क्वार्टज घड़ी और दूसरी मेकैनिकल घड़ी होती है।

घड़ी के बारे में जानकारी Ghadi Invention Information

दुनिया में एक कयामत की घड़ी भी है जो प्रलय का वक्त बताती है, इसे Doomsday Clock कहते है। संसार में समय की गणना करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मानक है जिसे GMT (Greenwich Mean Time) कहते है। दुनिया की सबसे महंगी घड़ी निर्माता कंपनी रोलेक्स मानी जाती है।

वर्तमान में घड़ी आपके मोबाइल में जगह बना चुकी है। घड़ी की कीमत भी 100 रुपये से लेकर लाखों तक जाती है। यह स्टेटस दर्शाने का एक जरिया भी है। आजकल स्मार्टवॉच का जमाना है जिसमें इंटरनेट, कॉलिंग जैसे फीचर्स आते है।

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Note – इस आर्टिकल Watch Ka Avishkar Kisne Kiya में घड़ी का आविष्कार किसने किया (Ghadi Ka Avishkar Kisne Kiya) पर जानकारी कैसी लगी। यह पोस्ट “घड़ी के बारे में जानकारी Watch History” पसंद आयी हो तो इसे शेयर भी करे।

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