मराठा साम्राज्य का इतिहास व मराठा शासक Maratha Empire In Hindi

यह आर्टिकल History Of Maratha Empire In Hindi मराठा साम्राज्य का इतिहास (Maratha Samrajya In Hindi) पर आधारित है। मराठा साम्राज्य 18 वी शताब्दी का एक शक्तिशाली साम्राज्य था। शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। बीजापुर राज्य से शुरू हुआ शासन देश के कई इलाकों तक पहुँचा था। मराठा साम्राज्य के शासकों को छत्रपति या पेशवा कहा जाता था।

History Of Maratha Empire In Hindi

राज्य के शुरुआती राजा छत्रपति कहलाये और बाद के पेशवा। उस समय के शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य को भी मराठाओं ने नाकों चने चबवा दिए थे। तो आइए दोस्तों, मराठा साम्राज्य का इतिहास (History And Information Of Maratha Empire In Hindi) जानने का प्रयास करते है।

मराठा साम्राज्य का इतिहास History Of Maratha Empire In Hindi

मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) के संस्थापक वीर छत्रपति शिवाजी महाराज थे। उन्होंने 1674 ईसवी में बीजापुर सल्तनत से अपने शासन की शुरुआत की थी। शिवाजी ने शासन की बागडौर संभालने के साथ ही “छत्रपति” की उपाधि ली थी। शिवाजी महाराज के समय मराठा साम्राज्य की राजधानी रायगढ़ थी। उस समय मुग़ल साम्राज्य बादशाह औरंगजेब के हाथों में था।

शिवाजी महाराज ने ही औरंगजेब की नाक में दम किया था। उस समय के मराठा साम्राज्य में करीब 1 लाख पैदल और घुड़सवार सैनिक थे। शिवाजी महाराज ने एक विशाल नौसेना भी बना रखी थी। शिवाजी ने छापामार युद्ध प्रणाली विकसित की थी।

शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद 1681 ईसवी में उनका पुत्र संभाजी महाराज मराठा साम्राज्य की गद्दी पर बैठा था। संभाजी महाराज एक वीर और बहादुर योद्धा थे। संभाजी ने मराठा साम्राज्य को और अधिक क्षेत्र में फैलाने का कार्य किया था। बीजापुर और गोलकुंडा से शुरू हुआ साम्राज्य दक्षिण भारत के कई इलाकों में विस्तार कर चुका था।

औरंगजेब अपनी विशाल सेना के साथ सम्भाजी को हराना चाहता था लेकिन वह हरा नही पाया। वर्ष 1689 में औरंगजेब के सेनापति मुकर्रब खान ने संगमेश्वर पर आक्रमण करके संभाजी को कैद कर लिया। बाद में उनको मृत्युदंड दिया गया।

मराठा साम्राज्य के शासक Maratha Samrajya In Hindi

सम्भाजी महाराज की मृत्यु के बाद राजाराम गद्दी पर बैठा लेकिन ज्यादा समय तक प्रभावी नही रह पाया। उसकी मृत्यु के बाद राजाराम की पत्नी महारानी ताराबाई ने मराठा राज्य को संभाला था। जब राजाराम की मृत्यु हुई थी, तब उनका पुत्र शिवाजी तृतीय केवल 4 वर्ष का था। फिर भी बड़ी बहादुरी और निष्ठा से ताराबाई ने सत्ता संभाली थी।

ताराबाई के बाद शिवाजी महाराज के पौत्र साहूजी महाराज को मराठा साम्राज्य की गद्दी सौंपी गई। साहूजी आखिरी छत्रपति थे क्योंकि इसके बाद मराठा शासन की बागडौर पेशवाओं ने सम्भाली थी। मराठा साम्राज्य के पहले पेशवा का नाम बालाजी विश्वनाथ था जो साहूजी महाराज के समय के थे।

मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) को उत्तर भारत में फैलाने का श्रेय पेशवा बाजीराव प्रथम को जाता है। बाजीराव साहूजी महाराज के समय ही थे। साहूजी महाराज केवल गद्दी तक ही सीमित थे। राज्य का पूरा कामकाज पेशवाओं के हाथ में था। पेशवा बाजीराव एक महान सेनानायक थे जिन्होंने मराठाओं का डंका पूरे देश में बजवाया था। वर्ष 1720 ईसवी में बाजीराव ने सेना की कमान संभाली थी। वर्ष 1740 ईसवी अपनी मृत्यु तक पेशवा के पद पर रहे थे।

औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य कमजोर हो गया था। इस कमजोर साम्राज्य की नींव हिलाने का कार्य पेशवा बाजीराव ने किया था। पेशवा बाजीराव एक बहादुर और कुशल योद्धा थे जिन्होंने मुग़लो को दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में सीमित कर दिया था। उत्तर भारत में मराठाओं के राज्य विस्तार का श्रेय पेशवा बाजीराव प्रथम को ही जाता है। पेशवा बाजीराव ने अफगानिस्तान तक मराठा साम्राज्य का विस्तार किया था।

मराठाओं का पतन और जानकारी

बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद उनके पुत्र बालाजी बाजीराव ने सेना की कमान संभाली थी। इसके बाद माधवराव प्रथम पेशवा पद पर सुशोभित हुए। ये अंतिम पेशवा थे जिनको अंग्रेजो ने हराया था।

मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) के दौरान पानीपत की तीसरी लड़ाई भी लड़ी गयी थी। यह युद्ध 14 जनवरी, 1761 को मराठाओं और अफगानिस्तान के शासक अहमद शाह अब्दाली के बीच लड़ा गया था। मराठाओं की और से पेशवा बालाजी बाजीराव के पुत्र विश्वास राव ने सेना की कमान संभाली थी। इस युद्ध में मराठाओं की भारी पराजय हुई और जान माल की क्षति भी हुई। इस युद्ध ने मराठा साम्राज्य की नींव हिलाकर रख दी थी।

बाजीराव के बाद कोई भी ऐसा शासक नही हुआ जो मराठा साम्राज्य के काबिल था। कमजोर और नाकाबिल शासकों के चलते मराठा साम्राज्य कमजोर होता चला गया। इस समय देश में अंग्रेजो का प्रभुत्व होने लग गया था। मराठा साम्राज्य का अंत ब्रिटिश शासन ने किया था।

मराठा साम्राज्य की जानकारी Maratha History In Hindi

महान मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) में कार्यपालिका में कई प्रमुख अंग थे। साम्राज्य के मंत्रिमंडल को अष्टप्रधान कहा जाता था। छत्रपति साम्राज्य का राजा होता था। उसके मंत्रिमंडल में पेशवा उपाधि होती थी जो प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते थे।

शिवाजी और संभाजी महाराज के बाद पेशवा पद ज्यादा ताकतवर हो गया। अमात्य का पद होता था जिसका कार्य वित्त मंत्री का था। इसके अलावा सचिव, मंत्री, सेनापति, सुमन्त, न्यायाध्यक्ष और पण्डितराव के पद थे।

मराठा साम्राज्य की युद्ध नीति ज्यादातर मौकों पर सफल हुई। इसका कारण उनकी युद्ध नीति का छापामार होना था। वो अचानक से दुश्मन सेना पर हमला करते थे। 1674 ईसवी से शुरू हुआ मराठा साम्राज्य 1818 ईसवी तक अस्तित्व में था।

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