हुमायूँ का इतिहास व जीवनी History Of Humayun In Hindi

इस पोस्ट Biography And History Of Humayun In Hindi में हुमायूँ का इतिहास और जीवनी के बारे में बताया गया है। हुमायूँ मुग़ल साम्राज्य का एक महत्वकांक्षी बादशाह था। हुमायूँ मुग़ल सल्तनत का दूसरा बादशाह था। वह वीर और उदार था लेकिन कम अनुभवी था। हुमायूँ कुशल योद्धा भी नही था लेकिन उसके पास विशाल मुग़ल सेना थी।

History Of Humayun In Hindi

मुग़ल बादशाह हुमायूँ का इतिहास History Of Humayun In Hindi

बादशाह हुमायूँ (Humayun) का जन्म 1508 ईसवी में काबुल में हुआ था। हुमायूँ के पिता का नाम बाबर था जो भारत के प्रथम मुग़ल बादशाह थे। माता का नाम माहम बेगम था। हुमायूँ का पूरा नाम नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं था। बाबर के 4 पुत्रों (हुमायूँ , कामरान, असकरी और हिन्दाल) में से हुमायूँ सबसे बड़े थे। जब हुमायूँ बादशाह बना तो उसकी उम्र महज 23 साल थी।

वर्ष 30 दिसम्बर, 1530 को हुमायूँ मुग़ल साम्राज्य की गद्दी पर बैठा था। कम उम्र में ही बड़े साम्राज्य की सत्ता आने पर हुमायूँ को कई चुनोतियों का सामना करना पड़ा था। हुमायूँ को उत्तराधिकारी बाबर ने ही घोषित किया था। बाबर की वसीयत के मुताबिक साम्राज्य को चार हिस्सो में बांटा गया था। हुमायूँ  का शासन उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। हुमायूँ के भाई कामरान मिर्जा को लाहौर, काबुल राज्य का शासन दिया गया। हिन्दल को मेवात और असकरी को सम्भल का इलाका मिला था।

हुमायूँ के लड़े युद्ध व जीवनी Biography Of Humayun In Hindi

बादशाह हुमायूँ (Humayun) ने अपने जीवन में कई युद्ध लड़े लेकिन कई में उसे हार का सामना करना पड़ा। हुमायूँ ने सबसे ज्यादा युद्ध अफगानों के खिलाफ लड़ा था। हुमायूं की हार के कारण उसके राज्य का विभाजन था। हुमायूँ का भाइयों ने साथ नही दिया।

वर्ष 1532 ईसवी में दोहरिया नामक स्थान पर हुमायूँ का अफ़ग़ान महमूद लोदी से युद्ध हुआ था। इस युद्ध में हुमायूं की जीत हुई थी। वर्ष 1539 में शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को बक्सर के युद्ध में हराया था। इसके बाद कन्नौज के युद्ध में हुमायूं वापस पराजित हुआ और भारत से मुग़ल साम्राज्य का पतन हुआ। वर्ष 1555 ईसवी में हुमायूँ ने सरहिंद के युद्ध में शेरशाह सूरी के पुत्र सिकंदर सूरी को हराकर साम्राज्य वापस पाया था।

हुमायूँ की तरफ से बैरम खान ने युद्ध लड़ा था। इसके बाद हुमायूं ने भारत पर वापस राज किया। हुमांयू के भारत की गद्दी वापस पाने में पर्शिया के सफविद राजवंश ने मदद की थी। उन्होंने काबुल व कंधार जीतने में हुमांयू की मदद की थी।

हुमायूँ (Humayun) ने शेरशाह सूरी से बक्सर के युद्ध में पराजित होने के बाद सूफी संत मीर अली की पुत्री हमीदा बानो बेगम से विवाह किया था। हुमायूँ को पुत्र की प्राप्ति हुई जो आगे चलकर हिंदुस्तान का महान बादशाह अकबर के नाम से जाना गया।

हुमायूं और राजमाता कर्णावती की राखी की कहानी

गुजरात का शासक बहादुर शाह भी हुमायूं का कड़ा प्रतिद्वंद्वी था। बहादुर शाह को भी हुमायूं ने कई बार पराजित किया। एक बार बहादुर शाह ने चितौड़ के किले पर आक्रमण कर दिया था। चित्तौड़ की राजमाता कर्णावती ने राज्य की रक्षा के लिए हुमायूँ को राखी भेजी। लेकिन हुमांयू समय पर चित्तौड़ नही पहुंच सका और चित्तौड़ पर बहादुर शाह का शासन हो गया। इसके बाद हुमायूँ ने बहादुर शाह को हराकर गुजरात और मालदा का इलाका जीत लिया लेकिन रणनीतिक और राजनीतिक गलती के कारण वापस गवां बैठा।

शेरशाह सूरी को वापस हराकर हुमायूँ दिल्ली के तख्त पर बैठा लेकिन कुछ ही समय बाद 1556 ईसवी में पुस्तकालय में गिरने से उसकी मौत हो गयी। हुमायूँ की जीवनी “हुमायूंनामा” को उनकी बहन गुलबदन बेगम ने लिखा था। हुमायूँ का मकबरा दिल्ली में स्थित है।

अन्य मुग़ल बादशाह –

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