मेजर ध्यानचंद की जीवनी Major Dhyan Chand Biography In Hindi
इस बायोग्राफी Major Dhyan Chand Biography In Hindi में मेजर ध्यानचंद की जीवनी को जानेंगे। मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। कई ओलंपिक गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में ध्यानचंद की मुख्य भूमिका थी। महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद ने अपने उम्दा खेल से भारत का विश्व में मान बढ़ाया था। जर्मनी का तानाशाह हिटलर भी ध्यानचंद का मुरीद था।
एक समय हॉकी में भारत की तूती बोलती थी। उस समय भारत की टीम में मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) जैसे महान खिलाड़ी थे। उनका खेल इतना गजब का था कि लोग कहते थे कि उनके स्टिक से बॉल चिपक जाती थी। भारत को लगातार तीन ओलंपिक गोल्ड मेजर ध्यानचंद की बदौलत ही मिले थे। ऐसे महान हॉकी प्लेयर मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय “Major Dhyan Chand Ki Jivani” और इतिहास जानने का प्रयास करते है।
मेजर ध्यानचंद की जीवनी Major Dhyan Chand Biography In Hindi
मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) का जन्म 29 अगस्त, 1905 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था जो आज प्रयागराज कहलाता है। ध्यानचंद के पिता का नाम समेश्वर सिंह था जो ब्रिटिश सेना में थे। ध्यानचंद के भाई रूप सिंह थे जो भी हॉकी खेलते थे। ध्यानचंद के पिता उन्हें ज्यादा ना पढ़ा पाये जिससे उन्हें उच्च शिक्षा नही मिली। पिता एक सैनिक के साथ ही हॉकी के बहुत अच्छे प्लेयर भी थे। यही से हॉकी का शौक ध्यानचंद को लगा था।
वर्ष 1922 में ध्यानचंद ने ब्रिटिश आर्मी जॉइन कर ली। पंजाब रेजिमेंट में उनको कार्यभार दिया गया। आर्मी में रहते हुए ही ध्यानचंद हॉकी खेला करते थे। ध्यानचंद को हॉकी की बारीकियां अपने पहले कोच पंकज गुप्ता से सीखने को मिली थी। आर्मी में ब्राह्मण रेजिमेंट के मेजर तिवारी से ध्यानचंद को हॉकी का बेसिक मिला।
मेजर ध्यानचंद का कैरियर Major Dhyan Chand Career
मेजर ध्यानचंद को हॉकी विजार्ड भी कहा जाता है। ध्यानचंद ने वर्ष 1925 में अपना पहला घरेलू हॉकी मैच खेला था। अपनी प्रतिभा का लौहा मनवाकर ध्यानचंद का चयन भारतीय टीम में हुआ। वर्ष 1926 में ध्यानचंद ने अपना पहला अंतराष्ट्रीय मैच न्यूजीलैंड में खेला था। इस टूर्नामेंट में ध्यानचंद ने अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय दुनिया को दिया। पूरे टूर्नामेंट में ध्यानचंद ने 100 के करीब गोल मारे थे।
इसके बाद अगले ही वर्ष लन्दन के एक टूर्नामेंट में मेजर ध्यानचंद ने 36 गोल किये थे। ध्यानचंद ने इसके बाद पीछे मुड़कर कभी नही देखा और विश्व पटल पर छा गए। वर्ष 1928 का एम्स्टर्डम ओलंपिक उनके लिए और भारत के लिए यादगार रहा। इस ओलंपिक में भारत ने नीदरलैंड को को हराकर गोल्ड मेडल जीता था।
इसके बाद अगले ओलंपिक 1932 के लॉस एंजिल्स में अमेरिका को 23-1 के बड़े मार्जिन से पराजित करने में मेजर ध्यानचंद का अहम योगदान था। यह भारत का लगातार दूसरा स्वर्ण पदक था। ध्यानचंद ने पूरे ओलंपिक टूर्नामेंट में गजब का प्रदर्शन किया था। अमेरिका के खिलाफ फाइनल मुकाबले में 8 गोल तो अकेले ध्यानचंद ने ही मारे थे।
मेजर ध्यानचंद Major Dhyan Chand Ki Jivani
लगातार तीसरे ओलंपिक बर्लिन 1936 में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराकर गोल्ड मेडल जीता था। मैच के बाद उस वक्त के जर्मन तानाशाह हिटलर मेजर ध्यानचंद से मिले थे। हिटलर ध्यानचंद की प्रतिभा से काफी प्रभावित हुए। एक ओलंपिक के दौरान उनकी स्टिक को भी तोड़ा गया, यह कहा गया कि उनकी स्टिक में चुम्बक है। यह उनके महान खेल का दुसरो में खौफ था। ध्यानचंद ने अपने पूरे अंतराष्ट्रीय हॉकी कैरियर में कुल 400 गोल किये थे। ओलंपिक में ही उनके 35 गोल थे।
वर्ष 1956 में ध्यानचंद आर्मी से रिटायर हुए। मेजर ध्यानचंद का निधन 3 दिसम्बर, 1979 को हुआ था। ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता था। मेजर ध्यानचंद के साथ उनके भाई रूप सिंह भी हॉकी खेला करते थे। रूप सिंह भी एक बेहतरीन खिलाड़ी थे जिनकी ध्यानचंद के साथ अच्छी टाइमिंग थी।
मेजर ध्यानचंद की उपलब्धिया Major Dhyan Chand
मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) को हॉकी के क्षेत्र में किये उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान से नवाजा गया है। वर्ष 1956 में ध्यानचंद को भारत सरकार ने पदम् भूषण से सम्मानित किया था। उनके जन्मदिन 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
ध्यानचंद को भारतीय हॉकी टीम का कोच भी नियुक्त किया गया था। दिल्ली के एक स्टेडियम का नाम मेजर ध्यानचंद स्टेडियम रखा गया है। भारतीय डाक द्वारा उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया गया है। मेजर ध्यानचंद के नाम पर पुरुस्कार भी दिया जाता है। ऑस्ट्रेलिया के वियना शहर में ध्यानचंद की एक मूर्ति लगी हुई है जिसमें मेजर चार हाथों में हॉकी स्टिक लिए हुए है।
मेजर ध्यानचंद जैसे महान हॉकी खिलाड़ी की वर्तमान में जरूरत है। एक समय हॉकी का सिरमौर भारत, आज ओलंपिक में एक पदक को तरस रहा है। क्रिकेट प्रेमी इस देश को हॉकी को भी उतना ही महत्व देना होगा, तभी हॉकी के अच्छे दीन आयेंगे। ध्यानचंद को कयामत तक उनके उम्दा खेल के लिए हमेशा याद किया जायेगा।
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Note – मेजर ध्यानचंद की जीवनी Major Dhyan Chand Biography In Hindi और उनकी उपलब्धियों भरे करियर के बारे में यह पोस्ट कैसी लगी। यह आर्टिकल “Major Dhyan Chand Ki Jivani” पसंद आया हो तो इसे शेयर करे।