ग्रेगर जॉन मेंडल की जीवनी और नियम Gregor Johann Mendel In Hindi

Gregor Johann Mendel In Hindi

आनुवंशिकता के पिता और महान वैज्ञानिक ग्रेगर जॉन मेंडल का जीवन परिचय (Biography Of Gregor Johann Mendel In Hindi) स्कूली शिक्षा में पढ़ाया जाता है। उनके द्वारा की गई खोज महान चमत्कार से कम नही थी। मेंडल ने आनुवंशिकता के नियम प्रतिपादित किये थे। इस नियम के अनुसार बच्चों में उनके मां बाप या किसी रिश्तेदार के गुण ट्रांसमिट होते है।

मेंडल का प्रयोग इस बात पर आधारित था कि जीव जंतुओं में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक गुण कैसे जाते है? और सन्तान में इन गुणों के लक्षण कैसे दिखाई देते है? ग्रेगर जॉन मेंडल के आनुवंशिकता के नियमों को मेंडल के नियम (Mendel Law In Hindi) के नाम से जाना जाता है। उन्होंने मटर के पौधे पर काफी प्रयोग करके इन नियमों को बताया था।

हम देखते है कि किसी शख्श की आंखे, बाल, चेहरा, रंग उसके माँ बाप या किसी रिश्तेदार से मिलते है। यह क्यों होता है? इसके पीछे का कारण जॉन मेंडल ने बताया था। यह पोस्ट उनकी जीवनी (Gregor Johann Mendel Biography In Hindi) और खोजों को समर्पित है।

ग्रेगर जॉन मेंडल की जीवनी – Biography Of Gregor Johann Mendel In Hindi

मेंडल का जन्म ऑस्ट्रिया में 20 जुलाई, 1822 को हुआ था। उनका परिवार जर्मन भाषी था। जॉन मेंडल कृषि भी किया करते थे जो उनका पुश्तेनी कार्य था। परिवार की आर्थिक हालात बहुत खराब थी लेकिन उन्होंने फिर भी पढ़ाई नही छोड़ी। मेंडल पेशे से एक पादरी भी थे जो बच्चों को प्रकति विज्ञान पढ़ाते थे।

ग्रेगर जॉन मेंडल (Gregor Johann Mendel) बच्चों को पढ़ाने के साथ ही रिसर्च भी किया करते थे। मेंडल के दिमाग में एक विचार कौंधा की ” एक पीढ़ी के लक्षण दूसरी पीढ़ी में कैसे जाते है”। उन्होंने इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए चूहों पर पर अपना अनुसन्धान शुरू किया था लेकिन चर्च में इस तरह के प्रयोग करने की मनाही थी। इसलिए मेंडल ने मटर के पौधे को अपने प्रयोग के लिए चुना था।

इस रिसर्च में उन्होंने मटर के पौधों के बीच में संकरण करवाया था। इसमें वो अलग अलग गुणों वाले पौधे लेते थे और उनमें प्रजनन करवाते थे। मेंडल ने प्रयोग के दौरान देखा कि कुछ पौधे के फूल सफेद और कुछ के फूल जामुनी होते है। आखिर इनमें ऐसा क्या है? कि फुलो के रंग निर्धारित होते है।

मेंडल को अपनी इस महान खोज के लिए कई वर्षों तक मान्यता नही मिली थी। बाद में इनके नियमों को स्वीकार किया गया था। मेंडल ने अपनी रिसर्च में यह पाया कि दो गुणों में से एक गुण ज्यादा प्रभावी होता है। यह प्रभावी गुण पौधे की अगली नस्लों में जाता है। दूसरा गुण कम प्रभावी होता है जो अगली नस्ल में दिखाई नही पड़ता है।

ग्रेगर जॉन मेंडल के आनुवंशिकता का नियम – Mendel Law In Hindi

मटर के पौधे में नर और मादा दोनों होते है। परागण इन दोनों में होता है जिससे नई पीढ़ी के बीज तैयार होते है। मेंडल ने अपने प्रयोगों के दौरान पौधे के 7 तरह के गुणों को बताया था। लेकिन एक बार में केवल एक गुण का ही अध्ययन करते थे। मेंडल ने अपने प्रयोग में “पर-परागण” पौधों के बीच करवाया। मेंडल ने प्रयोग के दौरान सफेद फूल वाले और जामुनी फूल वाले पौधे लिए थे।

सबसे पहले मेंडल ने सफेद पुष्प के पौधों के बीच संकरण कराया। इससे जो नई पीढ़ी का पौधा तैयार हुआ वो सफेद फूल वाला था। ऐसे ही जामुनी के पौधे को उसी रंग वाले पौधे से संकर कराया तो नई पीढ़ी का पौधा जामुनी रंग का पुष्प देता था। इसको मेंडल ने पौधों की पहली पीढ़ी F1 का नाम दिया।

मेंडल ने अब जामुनी और सफेद रंग के पुष्प वाले पौधों का आपस में संकरण करवाया तो नई पीढ़ी के पौधे का रंग जामुनी था। हर बार यह प्रयोग दोहराने पर नये पौधे के फूल का रंग जामुनी ही था। यह दूसरी पीढ़ी F2 थी। अब मेंडल ने दूसरी पीढ़ी के पौधों के बीच संकर कराया तो नतीजे चौकाने वाले थे। तीसरी पीढ़ी F3 में आने वाले फुलो का रंग कभी सफेद तो कभी जामुनी था।

उन्होंने यह प्रयोग कई बार दोहराया और हर बार नतीजे यही रहे। इन नतीजो का अनुपात 75:25 था। जिसमे 75 फीसदी पौधे जामुनी रंग के और 25 फीसदी सफेद रंग के थे। इससे यह मालूम हुआ कि सफेद रंग दूसरी पीढ़ी से गायब हो गया लेकिन तीसरी पीढ़ी में वापस आ गया।

ग्रेगर जॉन मेंडल के नियमों का प्रतिपादन (Gregor Johann Mendel In Hindi)

इन प्रयोगों से मेंडल ने यह साबित किया कि संतानों को अपने माता और पिता से कुछ तत्वों (जीन्स) की मदद से गुण मिलते है। उनमे से वो गुण ही सन्तान में दिखाई देता है जो ज्यादा प्रभावी होता है। इस प्रयोग में जामुनी रंग का पौधा सफेद पर ज्यादा प्रभावी है। आज की वैज्ञानिक भाषा में इसे डीएनए भी कह सकते है।

इस अनुसन्धान में मेंडल ने दो नियमो को प्रतिपादित किया। पहले नियम को “Segregation” का नियम कहते है। इसके अनुसार माँ या बाप के आधे गुण ही संतान में जाते है। माँ या बाप के गुणो में से जो ज्यादा प्रभावी होता है, वो ही सन्तान में जाता है।

मेंडल के दूसरे नियम को आनुवंशिकता का नियम कहते है। इस नियम के मुताबिक अलग अलग गुण आपस में मिलते है। ये गुण आपस में अप्रभावित रहते है। मेंडल ने यह रिसर्च करीब 10 साल तक की थी।

मेंडल द्वारा मटर के पौधे का चयन करने का मुख्य कारण –

  • इस पौधे का जीवन चक्र अल्प आयु का होता है जिससे कम समय में ज्यादा पीढ़ियों का अध्ययन किया जा सके।
  • यह एक उभयलिंगी पौधा है जिसमे मादा और नर जननांग एक ही पौधे पर होते है।
  • इस पौधे में स्वपरागण होता है जिससे हर पीढ़ी के लक्षण समान होते है।
  • मेंडल ने स्वपरागण रोकने के लिए पौधे के फूलों से पुंकेसर हटा दिए थे।

ग्रेगर जॉन मेंडल (Gregor Johann Mendel) ने जब यह महान खोज की थी, तब उनकी इस खोज को वैज्ञानिक जगत में मान्यता नही मिली थी। कई वर्षों बाद ह्यूगो राइस नामक वैज्ञानिक ने इनके नियमो को समझाया।

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